ऐसी महिलाओं के साथ काम करते हुए यह पाया गया कि कामकाजी महिलाओं को एक साथ, एक जगह एक कक्षा के रूप में बिठाना अपने आप में कठिन है| इससे उनका काम तो प्रभावित होता ही है, साथ ही व्यस्क होने के कारण उनका ध्यान पढ़ाई के अलावे और बहुत सारी अन्य चीजों पर चला जाता है और सीखना उनके लिए दुष्कर हो जाता है| बिना साक्षरता के बिना हुनरमंद होते हुए भी बहुत कम कमा पाती है| अतः जरूरी है कि उनकी क्षमता और दक्षता दोनों को बढ़ाया जाए और साक्षरता इसमें काफी बड़ा रोल अदा करता है| आज तकनीकी का इस्तेमाल कर काम के साथ-साथ उनकी शिक्षा साक्षरता बढ़ाई जा सकती है|
परंपरागत तरीके से अनौपचारिक शिक्षा देने में निम्न कठिनाइयां पाई गई है –
1. 15 से 20 महिलाओं को एक कक्षा के रूप में एक जगह इकट्ठा करना
2.
उनके लिए एक स्थानीय स्तर
पर एक अच्छे महिला टीचर को ढूंढ पाना
3.
गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन
सामग्री उपलब्ध करवाना
4.
काम के बीच 1 घंटे का पढ़ने के लिए समय
निकालना
5. सीखे गए पाठों का सही तरीके से मूल्यांकन कर पाना
इन सभी
समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हमने तकनीकी का इस्तेमाल कर “टीचिंग विदाउट टीचर”
की परिकल्पना की है| इसमें टीचर की जगह एक फैसिलिटेटर होता है जो रिमोटली स्मार्टफोन या टेबलेट का
इस्तेमाल कर छोटे समूहों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण को अंजाम देता है| इसके निम्न फायदे हैं –
1. अभ्यास के लिए ज्यादा से ज्यादा मौके
2.
अपने अभ्यास को स्वयं से
जांच तुरंत कर पाना
3.
अपने पढ़ाई की घंटे स्वयं
निर्धारित कर पाने की सुविधा
4.
मल्टीमीडिया के इस्तेमाल से
बोलकर, सुनकर, देखकर और लिखकर सीखने की आजादी
5.
फैसिलिटेटर के लिए रियल
टाइम या रीमोटली लर्निंग प्रोग्रेस को जांचने की सुविधा